प्यार
काँटों में फंसी मुरझाई सी कली थी तुमसे मिलकर खिली हुई गुलाब बन गयी।
बचपना तो बेशक आज भी है मुझमें मगर तुमसे मिलकर समझदार बन गयी।
हसरतें तो बहुत थी मेरी भी मगर तुमसे मिलकर तुम्हें पाना ही मेरी हसरत बन गयी।
तुम्हें खोने से डर लगता है जनाब इसीलिए तुम्हें पाना ही मेरी जिद़ बन गयी।
बचपना तो बेशक आज भी है मुझमें मगर तुमसे मिलकर समझदार बन गयी।
हसरतें तो बहुत थी मेरी भी मगर तुमसे मिलकर तुम्हें पाना ही मेरी हसरत बन गयी।
तुम्हें खोने से डर लगता है जनाब इसीलिए तुम्हें पाना ही मेरी जिद़ बन गयी।