ज्योति पुंज
फैल रहा जग में अंधियारा
किसे होश है आज यहां
अपनी हस्ती मिटता देखे
ऐसा है कोई जगा कहाँ !!
आज सभी हैं धन के भूखे
कौन असुर दल रोकेगा
समर मांगती है कुर्बानी
है कौन जो खुद को झोंकेगा !!
फिर से जग जाए वीर शिवा
इस अंधियारे से लड़ने को
फिरसे कोई...
किसे होश है आज यहां
अपनी हस्ती मिटता देखे
ऐसा है कोई जगा कहाँ !!
आज सभी हैं धन के भूखे
कौन असुर दल रोकेगा
समर मांगती है कुर्बानी
है कौन जो खुद को झोंकेगा !!
फिर से जग जाए वीर शिवा
इस अंधियारे से लड़ने को
फिरसे कोई...