...

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बेवफाई
इल्जाम दो मुझे बेशक बेवफाई का,
सच्चाई तो सुनो मेरी रूसवाई का।

दिल की धड़कने जवाँ अब भी है मेरी,
पर क्या करे अपनी जिम्मेदारीयो का।

सुखी हुई पत्तियाँ टूटकर बिखर जाती है,
इसमे क्या दोष है पतझर के मौसम का।

अश्क हमनें भी बहाया है तेरी याद में,
अब क्या फायदा है जख्म दिखाने का ।

अपने हाथों से दफन करना मुझे 'राही'
सुकून आएगा तुझे भी बदला लेने का।

--- राकेश राही
© Rakesh Singh Kushwaha 'rahi'