...

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हौसलों की मंज़िल
किस्सा वो जरूरतों की, गलियों में मसहूर हैं
फ़ासले हैं रास्तों में, मंज़िल अभी दूर है
ज़िन्दगी की कशमकश में, चाहते भरपूर हैं
थोरी-सी नादानीया भी होनी जरूर हैं
आँखों में उदासियाँ हैं, चेहरे पे है नूर भी
साहिलों तक पहुँचेगे,ये कस्ती को सुरूर हैं ।।