...

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मैं और उनके कुछ एहसान
हम मोहब्बत की दौलत लुटाते रहे
वो मजबूरियां गिनाकर लौटाते रहे

हम बांधते रहे बस तारीफ के पुलंदे
वो हमें हमारी बस कमी गिनाते रहे

रोज़ ख्याल उनका ख्वाब हैं उनके
वो रोज हमको आईना दिखाते रहे

हमने घर बनाया उनकी गलियों को
वो नजरंदाजी के पैंतरे सिखाते रहे

चाहते थे उन पर किताब लिख दूं मैं
वो तोड़ दिल मेरा गजल लिखाते रहे

🤡


© Dr. Joker