...

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टूटे टूटे से ख़याल निकले हैं...
टूटे टूटे से ख़याल निकले हैं,
एक ख्वाब मुकम्मल कर जाने को,

मरे मरे से फिरते हैं,
एक उसी की मनहूस गली में जाने को,

दबे दबे से एह्सास निकले हैं,
किसी को बाहों में भर लाने को,

कभी कह ना सके जो बात जरुरी,
अफवाह फैलाते हैं उन्हें खवाबो में लाने को,

होगी मुलाक़ात जरूरी भले देर सेही सही,
उसपर ज़िम्मेदारी हे बहोतो के ख्वाब सजाने को,

तन्हा रात मीठी नींद और ख़याल ए यार में मस्त "जावेद"
अच्छा मौका है फिर घोड़े बेच के सोजने को...

© y2j