...

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तरसती निगाहें
वो तरसती निगाहें याद है अब भी
वो बिछड़ते बाहें याद है अब भी
वो मौसम भी तो था पतझड़ का
सूखे पत्तों का गिरना याद है अब भी
वो तरसती निगाहें याद है अब भी
बहुत गुमान था मुझे उसके साथ का
वो जागती रातों का रोना याद है अब भी
वो तरसती निगाहें याद है अब भी
बहना था साथ उसके इश्क़ की लहरों में
वो कश्ती का डूब जाना याद है अब भी
वो तरसती निगाहें याद है अब भी
© aryathepoet