13 views
सवामणी ( Rajasthani geet )
आज को म्हारो गीत वा कंवारा भाईया के लिए छै ज्याकों घणी कोशिसा करणे के बावजुद भी ब्याह कोनी हो रयो छै एक भाई बालाजी महाराज ने काई कह रयो है एक गीत का माध्यम स्यूँ सुण ज्यों ---------
छोटा-छोटा के बहू आरी म्हँ अखंड कवारों डोलू छूँ
दर पर आकर बाबा थानै नतका ही बोलू छूँ
करवाद्यो जुगाड़ म्हारो , गुण थारा गाऊलों
इबके सावै होग्यो ब्याह सवामणी भी ल्याऊलों
सिर पर आग्या आधा धोळा पण बहू म्हारे नहीं आवै छै
फिरता - फिरता घिसगी जूत्या बापू भी नहीं जावै छै
बिठाद्यो मेरो बान बाबा , अहसान भुल ना पाऊलों
इबके सावै होग्यो ब्याह सवामणी भी ल्याऊलों
सारी रात आवै हेरा सेहरा कद बंधवावै छै
सब साथ्या का होग्या फेरा हिवड़े अग्न लगावै छै
बहू फूटरी लाद्यो बाबा , जी भर के थानै चाऊलों
इबके सावै होग्यो ब्याह सवामणी भी ल्याऊलों
सबका मन की जाणै बाबा क्यूँ ना म्हारी जाणै छै
किरण कुमावत जयपुर आळी नें भी लिखे कई गाणे छै
चलाद्यो कोई चक्कर बाबा , साथ में सबकी आऊलों
इबके सावै होग्यो ब्याह सवामणी भी ल्याऊलों
Related Stories
22 Likes
6
Comments
22 Likes
6
Comments