...

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इकलौते चिराग
सिमटकर रह गईं संसतियाँ
वसीयतनामों पर थमी कलह आहुतियाँ
सुख क्रांति है देश में परिवार नियोजन
कहीं इकलौते चिराग से धुआं हुआ धन
कागज़ी रिश्तों के सुलगते अलाव में पका
रहे पारंपरिक बिरयानी,
खदबद कर रही महुआ,
वो क़ौमी एकता से दाग रहे शोले
परिवार नियोजन विध्वंस किए
विनाश का हरा परचम लिए
धरती के स्वर्ग पर वो ख़ुफ़िया खौफी,
सरहद के इस पार इकलौते सपूत सपूती
पिज्जा,बर्गर पार्टियों की उपस्थिति दर्ज में तुले
जन्मदात्री लेती बलैया और चिराग की आरती में फूले,
और क्यों न हो दिया तले अंधेरा
अनागत में किसका सबेरा?
16 dec 22
अंजलि जैन शैली