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उबल तो रही है जिंदगी चाय की तरह
उबल तो रही है जिंदगी चाय की तरह
बस ज़ायका नहीं मिल रहा चाय की तरह

वो हो गए किताब मेरी पूरी ज़िंदगी की
और मैं ख़त्म हुआ किसी अध्याय की तरह

मुझको हर तरफ फ़क़त दुत्कार मिली
कि मैं भटका दर - दर न्याय की तरह

हर दफ़ा मेरी...