...

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यात्रा
#तूफानीयात्रा

काग़ज़ी कश्ती लिए,
जब आगया समुद्र में!
फिर तूफ़ानों से कैसा भय,
उतार गहरे गर्त में,

डूबने का भय ना कर,
हौसले बुलंद कर!
जिंदगी की नाव को,
उस पार के किनारे कर!

कांटों भरी है हर डगर,
कोई यात्रा सुगम नहीं,
जब तैर कर जाना है खुद,
तो रास्ता दुर्गम सही !

© tarun_puniya