...

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अंधेरे से डर लगता है
अब तो सितारों पर भी अंधियारा छाया है,
जुगनूओं में भी रोशनी का कहाँ असर लगता है,
उजाले को ऐसा खाया है अंधेरे ने,
इस घने अंधेरे से हमको डर लगता है,
अब तो उस रोशनी की किरण का इंतजार इस दिल मे आया है,
जिससे इस घने अंधेरे को भी डर लगता है,
घर में चल रही है घरवालों की झड़प ,
इसके बीच हमारा मन क्यों बेखबर लगता है,
उदासी का ऐसा अंधेरा छाया है इस घर पर,
खुशी का उजियाला कौन अपनी नज़र में रखता है,
नज़रों में सबके छाया है, काले काजल का अंधियारा,
काले घने अंधियारे से ही तो हमें डर लगता है,
सुबह होते ही सुरज उगने पर,
शाम के ढलने का डर लगता है,
रात को जो रंग बदलता है इस घर का,
घर को उस काले रंग से ही तो डर लगता है।

© dinesh@M