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गज़ल
जब तलक उसको ये ख़बर होगी,
दूर उससे मेरी डगर होगी।
हौसला रख उमीद भी जिंदा,
रात के बाद फिर सहर होगी।
राब्ता कुछ नहीं रहा फिर भी,
तेरी हर बात पर नज़र होगी।
बिन तेरे एक पल भी है मुश्किल,
जिंदगी कैसे ये बसर होगी।
साफ नीयत न दिल है सच्चा तो,
बंदगी तेरी बेअसर होगी।
इश्क़ कब कौन भूल पाता है,
बात तो तेरी उम्र भर होगी।
© शैलशायरी
दूर उससे मेरी डगर होगी।
हौसला रख उमीद भी जिंदा,
रात के बाद फिर सहर होगी।
राब्ता कुछ नहीं रहा फिर भी,
तेरी हर बात पर नज़र होगी।
बिन तेरे एक पल भी है मुश्किल,
जिंदगी कैसे ये बसर होगी।
साफ नीयत न दिल है सच्चा तो,
बंदगी तेरी बेअसर होगी।
इश्क़ कब कौन भूल पाता है,
बात तो तेरी उम्र भर होगी।
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