...

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(खुशी नाराज़ है )

इतने दिन गुजर गए
तुमने मुझे महसूस नहीं किया
हर पल चाहत तो करती हो मेरी पर,
ग़म से नाता गहरा बना लिया क्या
आज उस खुशी मे सिमटे एहसास नाराज़ है ।

आज वो खिलौना नाराज़ है जिससे बचपन में खेला था मैंने ,
पर आज वो घर के कोने मे पड़ा कहीं धूल खा रहा है
खिलौनों मे छुपा , वो बचपन नाराज़ है ।

ड्रावेल में पड़ी पायल जिसे खरीदा था तुमने
उस दुकान से पर पहना नहीं कभी
गहनों से दुश्मनी हो गई क्या, वो घुगरुओं की झंकार नाराज़ है ।

मैं...