...

3 views

जाने कहां हो तुम
जिस पल गली में खो गई थी
और एक आस लिए मंदिर के सीढ़ियों
पर बैठी थी की एक आवाज तो आती ही होगी
बदहवास सी ,खुशी और गम में डूबी हुई
हजारों डर ,,और ना जाने कितनी भावनाओं
में उलझी हुई ,वो एक आवाज बस आती ही होगी
थक गई थी राह ढूंढते ढूंढते,फिर उस आवाज़ के विश्वास पर शांत मन से निर्भय होकर बैठ गई
वो आवाज़ कोई और नहीं ,, हर बेटी के जीवन का अहम और विश्वसनीय आवाज होती हैं
जब वो आवाज़ ,,कहती है "मैं हूं बेटा तुम कभी घबराना मत "

आज उस आवाज़ की तड़प तो सुनाई देती हैं
पर दूर दूर तक फैला सन्नाटा दिल के लाखों टुकड़े कर जाता हैं