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बढ़ते-बढ़ते हम एक दिन चींटी हो जाते हैं
निराशावादी
डरते हैं कि कहीं
कायरता,संकोच,असफलता
जैसे भयानक जंतु के पैरों तले न आ जाएं!
और इसी सोच में हर रोज़ मरते हैं।
आशावादी
आत्मविश्वास तथा धैर्य के
सहयोग से कुशल बनते जाते हैं।
जुनूँन,संघर्ष उनको
हज़ार गुना भार उठाने के काबिल बना देता है।
यही प्रक्रम जीवनपर्यन्त चलता-रहता है।
जब हम पैदा होते हैं,
एक शिशु होते हैं।
और बढ़ते-बढ़ते एक दिन हो जाते हैं चींटी।
___"जर्जर"
डरते हैं कि कहीं
कायरता,संकोच,असफलता
जैसे भयानक जंतु के पैरों तले न आ जाएं!
और इसी सोच में हर रोज़ मरते हैं।
आशावादी
आत्मविश्वास तथा धैर्य के
सहयोग से कुशल बनते जाते हैं।
जुनूँन,संघर्ष उनको
हज़ार गुना भार उठाने के काबिल बना देता है।
यही प्रक्रम जीवनपर्यन्त चलता-रहता है।
जब हम पैदा होते हैं,
एक शिशु होते हैं।
और बढ़ते-बढ़ते एक दिन हो जाते हैं चींटी।
___"जर्जर"
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