...

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जिंदगी की यही कहानी है बोलती अपनी जुबानी है
इस जीवन की चादर में
सांसों के ताने बाने है
दुःख की थोड़ी सी सलवटे है
सुख के कुछ फूल सुहाने हैं
क्यों सोचे आगे क्या होगा
जब कल के कौन ठिकाने है
ऊपर बैठा वो बाजीगर जाने क्या मन में ठाने है
चाहे जितना भी जतन करले
भरने का दामन तारो से
झोली में वो ही भाएँगे
जो तेरे नाम के आने है

© Qitabo ke seher se Hukum