...

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प्रभू
ध्याऊँ मै पद कमल तिहारे।
तुम प्रभू घट-घट के वासी, दीन दुखियों के सहारे।
वाणी प्यासी तुम्हरे सुमिरन की, नैना राह निहारे।
तुम्हरे आगमन की लालसा में, नैना तक-तक हारे।
ऐसी भक्ति करी रैदासा, हुए अति तुमको प्यारे।
मै भी तुम्हरे चरणन का चेरा, काहे ना मोहे दुलारे।
पलक बिछाए बैठूं पथ में, आओ मोरे दुआरे।
आन दरस दो प्रभूजी मेरे, चित्त मे बसो हमारे।
लगन लगी है हिय मे प्रभू की, प्रभू-प्रभू रटे मन म्हारे।
हिय जुड़ावेगी तबहीं “मृत्युंजय”, प्रभू हिय माहि पधारे।

© मृत्युंजय तारकेश्वर दूबे।

© Mreetyunjay Tarakeshwar Dubey