नारी
चल उठ
खुद को बस एक युवती ना समझ
अपनी कमियों को कर दमन
अपनी हुनर को दे उड़ान
यूं ना खाली बैठ
चल उठ।
खुद को बस एक गृहिणी ना समझ
अपनी कला को पहचान
किसी पे बोझ न बन
यूं ना...
खुद को बस एक युवती ना समझ
अपनी कमियों को कर दमन
अपनी हुनर को दे उड़ान
यूं ना खाली बैठ
चल उठ।
खुद को बस एक गृहिणी ना समझ
अपनी कला को पहचान
किसी पे बोझ न बन
यूं ना...