...

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इंतजार की इन्तेहां है।
तन्हा थे तन्हा हैं,
जहां थे वहां हैं ।

वो हंसीन लम्हे.
थे! अब कहां हैं।

हम बुरे! अच्छा,
सारा जहाँ है।

स्वार्थी हुए हम,
प्यार जबां है।

आग लगी शायद,
उठा धुआं है।

अब तो आ जा,
इंतजार की इन्तेहां है।
© 💕ss