...

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भूल जाता
टूटी हुई तमन्नाओं का
रती भर तो दुःख मनाता

कभी तो आ कर घर मेरे
मेरे दुःख पर शोक जताता

याद रह गया तेरा जाना
कह जाता तो भूल जाता

या फिर कोई इरादा कर के
वापस घर पर लौट आता

उड़ते हुए परिंदे देख कर
क्या समझूं तुम हो कहां

क्या वहां कोई बाग है
हाल फिलहाल तुम हो जहां

क्या वहां फूलो की रुत
बिना रुत के आती है

क्या वहां कोयल कोई
दिन चड़ते ही गाती है

ऐसा कुछ नही है तो
क्यूं नही वो सब छोड़ आता

याद रह गया तेरा जाना
कह जाता तो भूल जाता




© दीप