...

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मां के हाथ का खाना
मां के हाथ का जादू
हर दर्द मिटा देता है
मां के हाथ की हथपोई रोटी
बैगन की चटनी जो मिल जाए
मिठास खाने की क्या जरूरत
जब मां अपने हाथों से खिलाएं
सर्दी खांसी हो थोड़ी भी
तुलसी का काढ़ा जो दे
हो जो बुखार कभी मुझे
लीमिर्ची कोयले और राई जो झाड़ा मारे
बड़ी से बड़ी बीमारी फुर्र हो जाएं
मां के छोंक लगाए
केवल जीरे और लहसुन का
तो अच्छे अच्छे कुक की कुकिंग फैल हो जाए
रहो चाहे लंदन पेरिस या जापान
होटल हो चाहे कितना भी महान
खाने से मन को तृप्ति और
खाने का स्वाद की नहीं मिलता
जब तक
मेरी मां के हाथ का खाना
मां के हाथों से पेट में नहीं उतरता
मां जो एक निवाला अपने हाथों से खिलाएं
जीवन की सारी भूख मिट जाएं।


#poetry #love


© -Pandit Neeraj Mishra ✍️