...

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ग़ज़ल
राधा राणा की कलम से ✍️

अपने पैरों पर ही चलना है हमें।
गिरना है खुद ही संभलना है हमें।

दीए हम वो,जो नहीं बुझते कभी,
आंधियों के बीच...