अपना घर
दुनिया में है बहुत सी जगह, पर वो है सबसे खास।
कुछ और नहीं वो है मेरा घर, मेरे दिल के सबसे पास।।
नहीं है शहर के बीचो बीच, है गाँव के अंदर।
आसपास दुकाने है बहुत कम, पर हरियाली भरपूर।।
है बिल्कुल छोटा सा, नहीं है कोई महल जैसा।
पर खुशियां है इतनी की खरीद ना सके इसे कोई पैसा।।
यहां हर कोने मे है खुशी, कहीं नही उदासी।
क्यूंकि यहां की हवा में ही है ताजगी सी।।
माना कि ये घर बहुत है पुराना।
पर इसकी हर दीवार हर ईंट में है खजाना।।
हर कदम पे मिलती है यहाँ नयी कहानी।
इस घर ने महसूस है हर जगह का पानी।।
भगवान ने भी इस घर को ऎसे सजाया है।
दिन मे सूर्य किरण और रात मे चंद्रमा से चमकाया है।।
बारिश की बूंदो ने भी इसे ऎसे सींचा है।
नए फूल की तरह हमेशा खिला है।।
यहाँ कभी अकेला नही लगा मुझको।
यहाँ की हवा भी कुछ बोलके जाती है तुमको।।
पेड़ के नीचे बेठने का जो मजा है।
वो किसी और जगह में नहीं।।
ये घर नही ये कोई जन्नत है।
मेरा घर यूंही सलामत रहे ये मेरी मन्नत है।।
© psycho
कुछ और नहीं वो है मेरा घर, मेरे दिल के सबसे पास।।
नहीं है शहर के बीचो बीच, है गाँव के अंदर।
आसपास दुकाने है बहुत कम, पर हरियाली भरपूर।।
है बिल्कुल छोटा सा, नहीं है कोई महल जैसा।
पर खुशियां है इतनी की खरीद ना सके इसे कोई पैसा।।
यहां हर कोने मे है खुशी, कहीं नही उदासी।
क्यूंकि यहां की हवा में ही है ताजगी सी।।
माना कि ये घर बहुत है पुराना।
पर इसकी हर दीवार हर ईंट में है खजाना।।
हर कदम पे मिलती है यहाँ नयी कहानी।
इस घर ने महसूस है हर जगह का पानी।।
भगवान ने भी इस घर को ऎसे सजाया है।
दिन मे सूर्य किरण और रात मे चंद्रमा से चमकाया है।।
बारिश की बूंदो ने भी इसे ऎसे सींचा है।
नए फूल की तरह हमेशा खिला है।।
यहाँ कभी अकेला नही लगा मुझको।
यहाँ की हवा भी कुछ बोलके जाती है तुमको।।
पेड़ के नीचे बेठने का जो मजा है।
वो किसी और जगह में नहीं।।
ये घर नही ये कोई जन्नत है।
मेरा घर यूंही सलामत रहे ये मेरी मन्नत है।।
© psycho