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जून🥀
#जून
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का पहलू,
बिन तेरे मैं कैसे रह लू;
उठता, गिरता,फिर संभलता
मैं रुक कर भी चलता रहता;
कुछ तो रोक लगा है
मुझे जीत का रोग लगा है;
मैं वंचित नहीं कही नजरो से,
वाकिफ हूं मैं हर खबरों से;
सत्य झूठ सब ज्ञात है
चार जून की बात है
बस चार जून की बात है;
✍️ दिव्यांक यादव
© diwyank yadav
चार जून की बात है
उसमें भी कुछ घात है
कौन बनेगा समय का पहलू,
बिन तेरे मैं कैसे रह लू;
उठता, गिरता,फिर संभलता
मैं रुक कर भी चलता रहता;
कुछ तो रोक लगा है
मुझे जीत का रोग लगा है;
मैं वंचित नहीं कही नजरो से,
वाकिफ हूं मैं हर खबरों से;
सत्य झूठ सब ज्ञात है
चार जून की बात है
बस चार जून की बात है;
✍️ दिव्यांक यादव
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