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कितना तरसे हम....
तेरी चाहत को कितना तरसे हम
तुझसे एक मुलाकात को कितना तरसे
दूरी बनाकर रखी तुझसे हमेशा इस कदर
जमाने में तेरे रुसवा हो जाने के डर से
तुम सलामत रहो खुश रहो अपनी दुनियां में
जब भी मिलो तो हमसे मिलना बेगाने बनके
खामोशियों में भी हमनें मुहब्बत की तुमसे
आंखें मगर बोलती रही हमेशा मेरी जुबां बनके
जानते हैं हम आगे हमारा अंजाम क्या होगा
नहीं तुझे आंसू देंगे कभी तेरे सीने के जख्म बनके !!
तुझसे एक मुलाकात को कितना तरसे
दूरी बनाकर रखी तुझसे हमेशा इस कदर
जमाने में तेरे रुसवा हो जाने के डर से
तुम सलामत रहो खुश रहो अपनी दुनियां में
जब भी मिलो तो हमसे मिलना बेगाने बनके
खामोशियों में भी हमनें मुहब्बत की तुमसे
आंखें मगर बोलती रही हमेशा मेरी जुबां बनके
जानते हैं हम आगे हमारा अंजाम क्या होगा
नहीं तुझे आंसू देंगे कभी तेरे सीने के जख्म बनके !!
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