...

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नज़र
नज़र मिली जब राहों में हम से
न जाने वो क्यों शरमा गए
बिखेर कर वो ख़ुशबू फ़िज़ा में
चमन हमारा महका गए
बज उठे ऐसे तार इस दिल के
खिल गए सहरा में भी जैसे गुलशन
नज़र मिली...

हमें ये डर था पहले कि बात ना बिगड़ जाए
क़रीब जाना चाहा मगर क़दम न बढ़ पाए...