...

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मेरे घर से पहले
मेरे घर से पहले उसका घर आता है
मै ना चाहूं देखना फिर भी ध्यान उधर ही जाता है

आती है मुस्कान मेरे चेहरे पर उसे सोच कर
पर उसे खुदसे दूर देखकर मेरा चेहरा उतर जाता है

मैंने लड़ाईया की है उससे मिलने के लिए
तमाम कोशिशे की है उसे एक पल बुलाने के लिए

उसे मुश्किलों में देख मेरी आँखों में आंसू आया है
सोच भी नहीं सकता इतना बेइंतेहा प्यार किया है

उसे अकेले में नहीं महफ़िल में याद किया है
अपनी हर बातों मैं उसका ज़िक्र हर बार किया है

अब तू ही बता कैसे भुला दू इस दिल के रिश्ते कों
मैंने हर घड़ी हर पल बस उसका ही इंतज़ार हमेंशा किया है
© Shagun