...

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तेरी छोटी छोटी बातों से जुड़ी मेरी ज़िन्दगी की कहानी
इक उम्मीद क़ैद हुई
बारिश की बूँदों में ..
के फ़िर मिलेंगे हम !
आँखों से करेंगे बातें,
आँखों से सुन लेंगे हम!
तुम्हें सादगी बहुत पसंद है...
पर न जाने क्यूँ ...
मेरा सजना संवारना
तुम्हें हमेशा अच्छा लगता था !
और आज भी मैं
तुम्हारे लिए ही सजती हूँ!
ठिक जैसे तुम्हें पसंद था..
एक छोटी सी बिंदी,
हल्का सा काजल,
लबों पर लाली और साड़ी !
हाँ, ज़ुल्फ़ों को बाँध लेती हूँ !
याद है मुझे ... तुम्हारी हर वो बातें!
"यूँ बालों को न खुला छोड़ो,
लोग देखते है तुम्हें, मुझे पसंद नही"

फ़िर इक उम्मीद क़ैद हुई है
बारिश की बूँदों में ..