सावन...!
तन भीगे प्रिय
मन भीगे,
देख देख... हरा सावन
भीगे...!
प्रेम की पड़ी
फुहार जो अब
द्वार... देहरी...
उर-आंगन...
मन भीगे,
देख देख... हरा सावन
भीगे...!
प्रेम की पड़ी
फुहार जो अब
द्वार... देहरी...
उर-आंगन...