#kbhi kbhi...
तन्हा बेपरवाह दिल हो जाता है कभी-कभी
बेधड़क अकेला सब सेह जाता है कभी-कभी
इसकी मुरादो को कभी बांध लूं एक धागे में
सपने देखूं तो भी कैसे इस उजाले में
शायद नहीं कोई मोल इनका आपके आशियाने में इसीलिए कहीं छोड़ आया जिंदगी को...
बेधड़क अकेला सब सेह जाता है कभी-कभी
इसकी मुरादो को कभी बांध लूं एक धागे में
सपने देखूं तो भी कैसे इस उजाले में
शायद नहीं कोई मोल इनका आपके आशियाने में इसीलिए कहीं छोड़ आया जिंदगी को...