...

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जंजीर
इन जंजीरों को तोड़कर
रुख हवा का मोड़कर
चल रहे हैं देखो हम,
बनाये नए निशान अपने कदमो के,
फहराएंगे जीत का एक नया परचम,
इन जंजीरों से मिली है आज़ादी,
ना सहेंगे किसी की गुलामी,
तोड़ कर पुरानी दीवारों को,
उठाएंगे नए महलों की शौकत...!
इन जंजीरों को तोड़कर,
रुख हवा का मोड़कर,
चल रहे है देखो हम...!
© रोहित शर्मा "Arjun"