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फूलो की इक मुस्कान 😊by Abhilasha Khare
फूलो में इक मुस्कान सी होती है।
होती तो है,पर वो.........
कुछ ही दिनो की मेहमान सी होती है।
मिटा देते है उसे ये इश्क के बदमाश।
क्योकी वो बेजुबान सी होती है ।।
रोती है ,तड़पती है, कोई नही सुनता उसकी।
क्योकी वो इस मतलबी दुनियाँ से अंजान सी होती है।
© "अभिलाषा"खरे"
होती तो है,पर वो.........
कुछ ही दिनो की मेहमान सी होती है।
मिटा देते है उसे ये इश्क के बदमाश।
क्योकी वो बेजुबान सी होती है ।।
रोती है ,तड़पती है, कोई नही सुनता उसकी।
क्योकी वो इस मतलबी दुनियाँ से अंजान सी होती है।
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