...

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बचपन का प्यार...


बचपन में ही प्यार का ऐसा जूनून छा गया,
पढ़ने लिखने का दिन था मेरा फिर भी प्यार आ गया।।

"क्लास का पहला दिन"

उनकी नजर से मेरी नजर टकराई,
जैसे उसने मेरे दिल में एक बिगुल सी बजाई,
उसकी मदमस्त नैनो का मै दीवाना हो गया,
पढ़ने लिखने का दिन था मेरा फिर भी प्यार हो गया।।

उसके प्यार मे दिल मायूस रहने लगा,
उसके दीदार के लिए दिल तड़पने लगा,
दुनिया की निगाहों में मै दीवाना हो गया,
पढ़ने लिखने का दिन था मेरा फिर भी प्यार हो गया।।

उसकी प्यारी मुस्कान दिलको भाने लगी,
उसकी यादे दिल को पलपल सताने लगी
उसकी गली में रोज मेरा आना जाना हो गया,
पढ़ने लिखने का दिन था मेरा फिर भी प्यार हो गया!!

(सम्राट)
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