papa
सहकर हर पल दर्द वो, अपने जख्मो को छुपाता रहा
उसे खुदा कहु या फरिश्ता कोई, जो खुद को आम बताता रहा
कहकर अपनी परी मुझे वो, मेरी जिन्दगी को जन्नत बनाता रहा
उसे खुदा कहु या फरिश्ता कोई, जो खुद को आम बताता रहा
थके हुए कन्धो पर हर...
उसे खुदा कहु या फरिश्ता कोई, जो खुद को आम बताता रहा
कहकर अपनी परी मुझे वो, मेरी जिन्दगी को जन्नत बनाता रहा
उसे खुदा कहु या फरिश्ता कोई, जो खुद को आम बताता रहा
थके हुए कन्धो पर हर...