#दमड़ी
#दमड़ी
चमड़ी से नहीं मिलती दमड़ी
बहुत-बहुत खाल सारी रगड़ी
मार देता बेईमान अपनी टंगड़ी
कोई करता खाता कोई रबड़ी ।
खाते रहे मास्टर से बस लकड़ी
बनना था इंसान बन गए मकड़ी
राह कभी नहीं सही थी पकड़ी
पहन ली गुलामियों की तगड़ी ।
© Geeta Yadvendu
चमड़ी से नहीं मिलती दमड़ी
बहुत-बहुत खाल सारी रगड़ी
मार देता बेईमान अपनी टंगड़ी
कोई करता खाता कोई रबड़ी ।
खाते रहे मास्टर से बस लकड़ी
बनना था इंसान बन गए मकड़ी
राह कभी नहीं सही थी पकड़ी
पहन ली गुलामियों की तगड़ी ।
© Geeta Yadvendu