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तन्हाई
तन्हाई है चारों और सुकून ना पास है यही हाल ज़िन्दगी का कल था यही हाल ज़िन्दगी का आज है
सारी ज़िन्दगी गमों में ही जा रही है ना कल खुशी
पास थी ना आज खुशी पास आ रही है
वक्त खराब है अभी और यही बात कुछ सीख रहा है
अपनों के चेहरों पर से भी अपने पन का नकाब हटा रहा है
© -शुभम कवि
सारी ज़िन्दगी गमों में ही जा रही है ना कल खुशी
पास थी ना आज खुशी पास आ रही है
वक्त खराब है अभी और यही बात कुछ सीख रहा है
अपनों के चेहरों पर से भी अपने पन का नकाब हटा रहा है
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