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सिमटना आता है।
दिन भर की आधी -अधूरी सी अर्जियां,
रातों की पूरी- पूरी सी मर्जियां समेट के आता है वो।
कुछ गलतियां, कुछ गलतफहमियां, कुछ हसीन से चेहरे आैर कुछ मुस्कुराते हुए दिलों की नादानीयाँ समेट के
बस यूं ही हर शाम की तरह ढल जाता है वो ।।
रातों की पूरी- पूरी सी मर्जियां समेट के आता है वो।
कुछ गलतियां, कुछ गलतफहमियां, कुछ हसीन से चेहरे आैर कुछ मुस्कुराते हुए दिलों की नादानीयाँ समेट के
बस यूं ही हर शाम की तरह ढल जाता है वो ।।
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