प्रेम को समझे ना कोई
करे सब प्रेम की बातें,
प्रेम को समझे ना कोई,
प्रेम नामक इस नाटक में,
प्रेम की जगह ही नही।
बाहर ढूंढे सभी प्रेम को,
भीतर न झांके कोई,
सूरज की...
प्रेम को समझे ना कोई,
प्रेम नामक इस नाटक में,
प्रेम की जगह ही नही।
बाहर ढूंढे सभी प्रेम को,
भीतर न झांके कोई,
सूरज की...