13 views
तलबगार
कभी तो ख़ावाब ऐसा आए,
जिस की तलबगार रुह हों,
असीम जहां में बसेरा हों ,
ना कोई सीमा हों,
कोई ना हो बंधन,
दिल से चाहने वाले हों,
मन में ना रखते ऐब हों,
हो जहां प्यारा सा बचपन,
ना मिले चमन में ग़ैर कोई....
© Hiren Brahmbhatt - HirSwa
Related Stories
18 Likes
0
Comments
18 Likes
0
Comments