...

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धुल
#धुल
शुर धुल से घुले मिले हैं
तभी तो रण में डटे पड़े हैं;
हुंकारों से शत्रु घीघ बने पड़े है,
ना माने कभी हार,
बस अब होने दो जो होता है,
जब जब किसी से रखी थी उम्मीद,
तब से बन कर खड़ा हूं बान के शत्रु का काल।।