तन्हाई
तन्हाई की बस्ती का पुराना बाशिंदा हूँ
जब भी इस बस्ती से निकलता हूँ
सिर्फ धोखा और नफ़रत का पक्का मकान मिलता है
तन्हाई का आलम क्या बताऊं दोस्तों
अब तो अपने अक्स से ही वफ़ा कर ली है
कभी हम भी मरते थे किसी की आहट सुनने की
अब तो अपनी आहट से ही दोस्ती कर ली है
जिनको पाने के लिए खुद को खो...
जब भी इस बस्ती से निकलता हूँ
सिर्फ धोखा और नफ़रत का पक्का मकान मिलता है
तन्हाई का आलम क्या बताऊं दोस्तों
अब तो अपने अक्स से ही वफ़ा कर ली है
कभी हम भी मरते थे किसी की आहट सुनने की
अब तो अपनी आहट से ही दोस्ती कर ली है
जिनको पाने के लिए खुद को खो...