...

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तन्हाई
तन्हाई की बस्ती का पुराना बाशिंदा हूँ
जब भी इस बस्ती से निकलता हूँ
सिर्फ धोखा और नफ़रत का पक्का मकान मिलता है
तन्हाई का आलम क्या बताऊं दोस्तों
अब तो अपने अक्स से ही वफ़ा कर ली है
कभी हम भी मरते थे किसी की आहट सुनने की
अब तो अपनी आहट से ही दोस्ती कर ली है
जिनको पाने के लिए खुद को खो दिया
जिन नजरों मे खुद को ढूंढ रहे थे उन्होंने धोखा दे दिया
अब तो अपनी नजरों मे ही खुद को खोज लिया
तन्हा हूँ और उसी पर भरोसा करता हूँ
क्योंकि जब भी प्यार को खोजा तो तन्हाई ही मिली
महबूब तो बहुत मिले पर तन्हाई जैसा कोई ना मिला
तन्हाई ना कभी धोखा दिया ना दिल का दर्द दिया
तन्हाई ने तो हमेशा मेरा साथ दिया
अब तन्हाई ही मेरी महबूबा, हमसफ़र और मंजिल है
तन्हाई की बस्ती का पुराना बाशिंदा हूँ
यहाँ हर किसी का स्वागत है
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