...

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दूसरा पडाव जीवन का
जीवन का पहला पडाव पार करके दूसरे पड़ाव में आ गए बेफिकरे से दिल पर मानों व्यथाओं के बादल छा गए
बस्ते के भार से छुटकारा मिला
पर इन कंधों पर अंजानी सी जिम्मेदारियों का बोझ महसूस होता है
समझ न आया आखिर व्यक्ति अपना बचपना क्यों खोता है

कल तक जो डूबे रहते थे किताबो के पन्नों...