सफर इस साल का
जनवरी, फरवरी की यादें कुछ खास नहीं है !
एक अंधकार का छाया है ,एक गुनाह था जिसका गुनाहगार मैने खुद को बताया है l
उभरे भी नहीं में उन बातों से ......
इस से पहले ही मार्च आ गया !!!
रंगो की खुशबू से तकलीफ अपनी भूल गई
अफसोस कि में खुद को ही happy होली wish करना भूल गई l
आया... महीना अप्रैल का शुरुआत हुआ जिंदगी में मेरे नए प्यार के खेल का
एक शख्स था
जिसने जिस्म की चाहत को मोहब्बत का नाम दिया।
यह झूठी मोहब्बत के फरेब को मैने मई आने तक पहचान लिया ।
दिन 15 मई चेती छठ त्योहार का था ,
सुबह की पहली सूरज की किरण के इंतजार का था ।
पड़ी एक लड़के की नजर मुझे पे ,
वो लड़का भी बिहार का था
यमुना का निर्मल घाट था ।
आई मेरे पास एक लड़की ,,
जो रिश्तों में उसकी बहन थी लगती ।
इंस्टाग्राम पर उस लड़की का मैसेज आया मेरे पास था ।
बहुत अच्छा है उसका भाई बताया उसने मुझे ये बात बताया था।
हो गई मुझे से फिर गलती !!!
मेने उस पर विश्वास कर लिया
अचानक बदल जाना व्यवहार उसका
विश्वास मेरा तोड़ गया..
चुभ गए उसके शब्द मुझे कुछ ऐसे ,
की मे हद से ज्यादा टूट गई,।
जिंदगी का यह वह वक्त था जब फिर मे जिंदगी से अपनी रूठ गई
आया फिर यह महीना जून का
यह समय मेरा जिंदगी मे परिवर्तन काल का था
एक दोस्त थी उससे दोस्ती भी टूट गई
45 kg का weight वाला शरीर में 37 की हो गई
एक सवाल लोगो का इतनी कमजोर तू कैसे हो गई
Tension डिप्रेशन पुरानी बातों का, और last semsester का एग्जाम भी करीब था ।
दिन जिंदगी के मेने कुछ ऐसे ही गुजार दिया
जून का महीना मे खुद को सम्भल रही थी।
एग्जाम की टेंशन मुझे मुझे डराया जा रहा था।
आंखों को रोने से मेने रोक रही थी।
खुद को हँसने से मे टोक रही थी।
7 जून का दिन, मंदिर की चौखट पर मेने चीख चीख कर रोया था....... दिल की आवाज से बहुत तेज आवाज लगाई थी!!!
अफसोस माँ फिर भी सुन न पाई ।।
फिर लगा जिंदगी मे धीरे धीरे सब ठीक हो रहा
ज़ख्म पर मेने दवाई लगा ली,,
कहने को पुरानी सारी बातें भुला दी
जून से जुलाई हो गया हो गया
The and मेरे B.A ka पढ़ाई हो गया
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एक अंधकार का छाया है ,एक गुनाह था जिसका गुनाहगार मैने खुद को बताया है l
उभरे भी नहीं में उन बातों से ......
इस से पहले ही मार्च आ गया !!!
रंगो की खुशबू से तकलीफ अपनी भूल गई
अफसोस कि में खुद को ही happy होली wish करना भूल गई l
आया... महीना अप्रैल का शुरुआत हुआ जिंदगी में मेरे नए प्यार के खेल का
एक शख्स था
जिसने जिस्म की चाहत को मोहब्बत का नाम दिया।
यह झूठी मोहब्बत के फरेब को मैने मई आने तक पहचान लिया ।
दिन 15 मई चेती छठ त्योहार का था ,
सुबह की पहली सूरज की किरण के इंतजार का था ।
पड़ी एक लड़के की नजर मुझे पे ,
वो लड़का भी बिहार का था
यमुना का निर्मल घाट था ।
आई मेरे पास एक लड़की ,,
जो रिश्तों में उसकी बहन थी लगती ।
इंस्टाग्राम पर उस लड़की का मैसेज आया मेरे पास था ।
बहुत अच्छा है उसका भाई बताया उसने मुझे ये बात बताया था।
हो गई मुझे से फिर गलती !!!
मेने उस पर विश्वास कर लिया
अचानक बदल जाना व्यवहार उसका
विश्वास मेरा तोड़ गया..
चुभ गए उसके शब्द मुझे कुछ ऐसे ,
की मे हद से ज्यादा टूट गई,।
जिंदगी का यह वह वक्त था जब फिर मे जिंदगी से अपनी रूठ गई
आया फिर यह महीना जून का
यह समय मेरा जिंदगी मे परिवर्तन काल का था
एक दोस्त थी उससे दोस्ती भी टूट गई
45 kg का weight वाला शरीर में 37 की हो गई
एक सवाल लोगो का इतनी कमजोर तू कैसे हो गई
Tension डिप्रेशन पुरानी बातों का, और last semsester का एग्जाम भी करीब था ।
दिन जिंदगी के मेने कुछ ऐसे ही गुजार दिया
जून का महीना मे खुद को सम्भल रही थी।
एग्जाम की टेंशन मुझे मुझे डराया जा रहा था।
आंखों को रोने से मेने रोक रही थी।
खुद को हँसने से मे टोक रही थी।
7 जून का दिन, मंदिर की चौखट पर मेने चीख चीख कर रोया था....... दिल की आवाज से बहुत तेज आवाज लगाई थी!!!
अफसोस माँ फिर भी सुन न पाई ।।
फिर लगा जिंदगी मे धीरे धीरे सब ठीक हो रहा
ज़ख्म पर मेने दवाई लगा ली,,
कहने को पुरानी सारी बातें भुला दी
जून से जुलाई हो गया हो गया
The and मेरे B.A ka पढ़ाई हो गया
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