आज की नारी
जब बात करू मैं अपने अधिकारों की
विरोध करूं समाज के धकियानुसी ठेकेदारों की
तब मार ताना कहते हैं बस बात यहीं
की है यह आज की नारी
जब घूंघट को अपने विकास का रोड़ा बताऊं
अंधविश्वास पर कोई ऐतराज जताऊं
जब इन्कार करूं मैं बनने से कोई लड़की बेचारी
तब कहलाती हूं मैं आज की नारी
जब प्रश्न मेरे अंतहीन हो
और मुख उनके उत्तरविहीन हो
जब झुका सके न मुझे मेरे स्त्री होने की लाचारी
तब कहलाती हूं...
विरोध करूं समाज के धकियानुसी ठेकेदारों की
तब मार ताना कहते हैं बस बात यहीं
की है यह आज की नारी
जब घूंघट को अपने विकास का रोड़ा बताऊं
अंधविश्वास पर कोई ऐतराज जताऊं
जब इन्कार करूं मैं बनने से कोई लड़की बेचारी
तब कहलाती हूं मैं आज की नारी
जब प्रश्न मेरे अंतहीन हो
और मुख उनके उत्तरविहीन हो
जब झुका सके न मुझे मेरे स्त्री होने की लाचारी
तब कहलाती हूं...