...

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आज उठा फिर एक सवाल
आज फिर एक बार देश का सर झुक गया
लहराता तिरंगा फिर एक बार झुक गया
खून से सना मंज़र आज भी दिल दहला देता
नारियाँ आखिर सुरक्षित कहाँ
ये सवाल फिर जा उठा
क्या बीती होगी उस लड़की पर ये सोच से भी परे है
अपना काम करना भी आख़िर क्यों बन गया गुनाह
जिस कली को संजो के मा बाप ने पाला आज वो फूल मुरझा गया
क्या कोई कैंडल मार्च सच में उसे इंसाफ दिला पाएगा
आखिर क्या है इंसाफ़ की लड़ाई एक नया कानून क्या जाहिल मानसिकता को बदल पाएगा
कुछ समय बाद ये देश शांत हो जाएगा
क्या उस घर में सूरज कभी निकल पाएगा
शोषण करते जब ना आयी दया उसको
शरीर तो क्या रूह तक चीर डाली उसकी
कया सच मैं सज़ा के काबिल है वो
जब द्रौपदी का चीर हरण हुआ , महाभारत का आगाज़ हुआ
हो भाई या गुरु सबका एक अंजाम हुआ ,
शस्त्र उठाकर कौरवों का विनाश हुआ तभी युद्ध पर पूर्ण विराम हुआ
तो आज क्यों सलाखों के पीछे उसका जीवन आसान हुआ , क्यों शस्त्र की जगह आज कैंडल मार्च हुआ
उस जानवर को आखिर जीने का हक किसने दिया
क्या सच में कानून का बदलाव लाएगा कोई बदलाव
पूछो खुदसे ये सवाल।



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