...

4 views

नाकामी
आओ एक बार फिर मोहब्बत करते है,
फिर एक बार और नाकामी की सीढ़ी चढ़ते हैं,
फिर से एक बार और दिल की गहराइयों को समझते हैं
आओ एक बार फिर मोहब्बत करते है,
लबज ठहर चुके हैं मगर खामोशी अभी भी बहत कुछ बहाया कर रही है
चुप होकर भी बहुत सवालों के जवाब ढूंढ रही हैं
अब हमारी ख़ामोशी भी भीड़ मैं बहुत कुछ बया कर रही हैं
यूं तो
चलो आज फिर से मोहब्बत करते है
फिर एक बार और नाकामी की सीढ़ी चढ़ते हैं।

© IUC