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हां! मैं ही मोहब्बत हूं...❤️
खुशनुमा पल था नहीं, मैं भी नहीं खुश था।
एक शख्स था सच्चा, बाकी सब झूठ था।

सब के सब सच्चे निकले, वो परिंदा बेवफा,
बेवफा से याद आया, वादों में था कोई वफा।

वादें भी फरेबी निकली, फरेबी निकला प्यार,
खून किया दिल मेरा, रंगा ना वो तलवार।

तलवार पर लिखा था यारों,
इश्क इश्क नहीं अब कातिल है।
मोहब्बत पर अब मरना छोड़ों,
मोहब्बत ही इसमें शामिल हैं।

मोहब्बत नहीं वो, एक गलती थी मेरी,
मोहब्बत मुझे अजीज है, बस समझ में हुई देरी।

अब समझ है और मैं ही मोहब्बत हूं।
कहीं आईने सा है कोई, बस उसकी अमानत हूं।

हां! मैं ही मोहब्बत हूं।

© Rahul Raghav

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