कश्मकश
कश्मकश राज से मेरे घर आये रियायत भी हो गई
सुरूर ऐसा रुस्वा भी ना हुआ और इशरत भी हो गई ,
उसने करीब आके इस कदर नजरे-करम मुझसेकी ,
तिश्नगीका नशा भी ना हुआ और उल्फत भी हो गई ,
मत पूछ उसका अंदाज दर्द देके चारागर ...
सुरूर ऐसा रुस्वा भी ना हुआ और इशरत भी हो गई ,
उसने करीब आके इस कदर नजरे-करम मुझसेकी ,
तिश्नगीका नशा भी ना हुआ और उल्फत भी हो गई ,
मत पूछ उसका अंदाज दर्द देके चारागर ...