...

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बुरी ख़बर...
सन्नाटे से भरा अब सिर्फ शोर है
रंगों वाली दीवारें भी अब बोर हैं
कुछ गिने - गिनाएं चेहरे है और
एक यंत्र ऐसा है जो केहता है,
आज फिर एक बुरी ख़बर है...

जहां रुकने की ख्वाहिश थी कभी
अब घुटन सी होने लगती है
बेमिसाल आशियाने की चमक, अब
जेल की काली दीवारों सी लगती है
रोज़ आंखें तब बंध होती है, जब...